Sunday, December 14, 2025

जब चींटी सफल हो सकती है, तो मैं क्यों नहीं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

सफलता का कोई निश्चित सूत्र या फार्मूला नहीं होता है। लेकिन यह तय है कि यदि व्यक्ति में लगन और हिम्मत हो, तो वह कठिन से कठिन काम करने में सफल हो सकता है। भले ही उसे सफलता मिलने में कुछ समय लगे। यह प्रसंग एक मूर्तिकार की सफलता से जुड़ा हुआ है। प्रसंग यह है कि किसी राज्य का एक दिन शिकार के लिए निकला।

 जंगल में उसे एक हिरन दिखा, तो वह उसका शिकार करने के लिए उसकी ओर चला गया। हिरन को भी राजा के आने की आहट मिल गई तो वह जंगल की ओर भागा। राजा ने हिरन का पीछा किया। हिरन का पीछा करते-करते राजा पहाड़ियों के नजदीक जा पहुंचा। 

वहां पहुंचने पर उसने देखा कि एक मूर्तिकाल पत्थर की मूर्तियां बना रहा था। उसने मूर्तियां बहुत अच्छी बनाई थीं। राजा ने उस मूर्तिकार से कहा कि मेरी भी एक अच्छी सी मूर्ति बना दो। मूर्तिकार ने विनम्रता से कहा कि आपकी मूर्ति बनाना मेरा सौभाग्य होगा, लेकिन कई दिन लग जाएंगे। राजा तैयार हो गया। मूर्तिकार राजा की मूर्ति बनाता, लेकिन अगले ही दिन तोड़ देता। वह कहा करता था कि मूर्ति अच्छी नहीं बनी है। इसी तरह कई दिन बीत गए। एक दिन निराश होकर मूर्तिकार अपनी मूर्तियों के पास बैठ गया। 

उसने देखा कि एक चींटी अनाज का एक दाना लेकर दीवार पर चढ़ने का प्रयास कर रही है। वह बार-बार गिरती है, लेकिन प्रयास करना नहीं छोड़ती है। कई बार के प्रयास के बाद चींटी दाना लेकर दीवार पर चढ़ने में सफल हो गई। मूर्तिकार ने सोचा कि जब यह छोटी सी चींटी कई बार के प्रयास में सफल हो सकती है, तो मैं क्यों नहीं सफल हो सकता हूं। फिर उसने राजा की लगन से बहुत अच्छी मूर्ति बनाई जिसे देखकर राजा बहुत खुश हुआ।

लालची प्रवृत्ति के कारण लोग साइबर ठगी का होते हैं शिकार


अशोक मिश्र

जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी का विस्तार होता जा रहा है,  लोगों का जीवन सरल होता जा रहा है। यह सही है कि टेक्नोलॉजी से देश और समाज को बहुत फायदे हैं। जीवन में सरलता और ठहराव आता जा रहा है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। जब से नई-नई टेक्नोलॉजी के चलते बैंकिंग प्रणाली आसान हुई है, लोगों को अब छोटे-मोटे कामों के लिए बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं, वहीं, कुछ चालाक लोगों ने टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर अपराध भी करना शुरू कर दिया है। 

साइबर ठगी भी इसका सबसे आसान तरीका है। देश के विभिन्न इलाकों में छिपे बैठे साइबर ठग किसी को भी अपना शिकार बना लेते हैं। पिछले दिनों ही हरियाणा पुलिस ने पांच साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। यह लोग ह्वाट्सएप पर लोगों से संपर्क करके उन्हें एक ऐप डाउनलोड करने को कहते थे। ऐप डाउनलोड होने के बाद साइबर अपराधी अपने शिकार को शेयर बाजार में पूंजी निवेश करने के लिए उकसाते हैं। शिकार जब अपराधियों पर विश्वास करने लगता है, तो पहले छोटी-छोटी रकम पूंजीनिवेश करने को कहते हैं। ऐप पर मुनाफा होता हुआ भी दिखाते हैं। जब उनका टारगेट यानी शिकार पूरी तरह मुट्ठी में आ जाता है, तब वह भारी भरकम रकम निवेश करने के लिए कहते हैं। 

जब पूंजी निवेश हो जाता है, तो मुनाफा दिखाने वाला ऐप बंद हो जाता है और साइबर ठग अपने मोबाइल स्विच आफ करके बैठ जाते हैं या फिर सिम ही बदल लेते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी तरह साइबर ठगों के संपर्कमें आ जाए, तो वह उसे धमकाते भी हैं। हरियाणा में साइबर ठगी के मामले पिछले कई वर्षों से बढ़ते ही जा रहे हैं। पुलिस प्रशासन इन पर लगाम लगाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है। सरकार और पुलिस प्रशासन बार-बार लोगों को साइबर ठगों के मामले में जागरूक कर रही है, लेकिन उसका लाभ इसलिए नहीं मिल रहा है क्योंकि लोग बिना मेहनत किए ढेर सारा पैसा कमाने के फेर में पड़ जाते हैं। अपनी लालची प्रवृत्ति के चलते ही लोग साइबर ठगों के चंगुल में फंसते हैं। 

जब अपनी जमा पूंजी लुटा चुके होते हैं, तब वह पुलिस की शरण में भागते हैं। वैसे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश पर पुलिस प्रशासन साइबर अपराधियों सहित सभी प्रकार के अपराधियों को गिरफ्तार करने में पूरे मन से लगी हुई है। यही वजह है कि हरियाणा पुलिस को 2024 में साइबर धोखाधड़ी रोकने के मामले में देश में पहला स्थान मिला था। हरियाणा पुलिस ने साइबर अपराधियों से लगभग 268.40 करोड़ रुपये बचाए थे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 76.85 करोड़ रुपये था। यह राशि 2023 की तुलना में 2024 में बचाई गई राशि तीन गुना और 2022 की तुलना में पांच गुना अधिक है।

Saturday, December 13, 2025

तानपुरा ही खराब हुआ है, तेरे सुर तो ठीक हैं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अगर इंसान में लगन हो, तो वह अपनी प्रतिभा और लगन से वह सर्वोच्च शिखर तक पहुंच सकता है। कुछ ऐसा ही जीवन प्रसिद्ध संगीत साधिका गंगूबाई हंगल का रहा। गंगूबाई हंगल का जन्म कर्नाटक राज्य में 5 मार्च 1913 को एक केवट परिवार में हुआ था। उनके परिवार में देवदासी परंपरा थी। बचपन में गंगूबाई हंगल ने बहुत जातीय अपमान सहा। 

लोग उनकी खिल्ली उड़ाते थे। गरीबी अलग ही उनकी परीक्षा ले रही थी, लेकिन संगीत ने उन्हें समाज द्वारा किए गए अपमान से लड़ने और अपने लक्ष्य तक पहुंचने में भरपूर सहायता की। शुरुआत में जब उन्होंने गायिकी शुरू की, तब समाज के लोगों ने गाने वाली कहकर ताने मारे, उपहास किया। एक बार की बात है, जब वह बचपन में तानपुरे पर गाने का अभ्यास कर रही थीं, तो तानपुरा बरसात में भीग जाने की वजह से खराब हो गया। नया तानपुरा खरीदने के पैसे भी नहीं थे। 


उन्होंने अपनी मां अंबाबाई से कहा कि तानपुरा खराब हो गया है, रियाज कैसे करूं। अंबाबाई ने समझाते हुए कहा कि तानपुरा खराब हो गया है, तो क्या हुआ। तेरा सुर तो ठीक है। इसके बाद गंगूबाई हंगल ने पुराने तानपुरे को किसी तरह ठीक-ठाक करके रियाज किया। धीरे-धीरे गंगूबाई हंगल की ख्याति बढ़ने लगी। लोग उनकी गायकी के मुरीद भी होने लगे। 

समय का फेर देखिए, बचपन में जातीय अपमान सहने वाली गंगूबाई को राजकीय सम्मान से नवाजा जाने लगा। गंगूबाई ने अपनी गायिकी को एक मुकाम तक पहुंचाया। उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, तानसेन पुरस्कार, कर्नाटक संगीत नृत्य अकादमी पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

प्रदूषण को शिकस्त देने की योजना खरीदी जाएगी पांच सौ इलेक्ट्रिक बसें

अशोक मिश्र

दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक होता जा रहा है। कल ही बल्लभगढ़ देश का चौथा सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया गया था। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था। धुंध और धुएं की वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। गुरुग्राम में हालात काफी चिंताजनक हो गए हैं। इन सब स्थितियों से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने चार जिलों गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में पांच सौ इलेक्ट्रिक बसें चलाने का फैसला किया है। 

इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की वजह से कार्बन का उत्सर्जन पर रोक लगेगी।  इन जिलों की सड़कों पर दौड़ने वाली डीजल संचालित बसें बाहर कर दी जाएंगी। इन बसों की वजह से भी कार्बन उत्सर्जन होता है। पिछले साल नवंबर में सीएम नायब सिंह सैनी ने वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की थी। बैठक के दौरान वर्ल्ड बैंक अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना के लिए 2498 करोड़ रुपये का ऋण दिया जाएगा। अब वर्ल्ड बैंक ने हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना के लिए 305 मिलियन डॉलर यानी 2753 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं। इसी राशि में से 1513 करोड़ रुपये खर्च करके प्रदेश के चार जिलों के लिए पांच सौ बसें खरीदी जाएंगी। 

यही नहीं, विभिन्न कार्यों के लिए 564 करोड़ रुपये हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को दिए जाएंगे ताकि वह राज्य वायु गुणवत्ता प्रयोगशालाओं को अपग्रेड कर सकें और प्रदेश में 12 मिनी लैब की स्थापना कर सकें। हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड इस पैसे का उपयोग वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले कार्योंं में करेगा। हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना से एक उम्मीद पैदा हुई है कि निकट भविष्य में हरियाणा की वायु गुणवत्ता सूचकांक में सुधार होगा। जहां तक वर्तमान हालात की बात है। 

हरियाणा धीरे-धीरे गैस चैंबर में तब्दील होता जा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि अस्पतालों में वायु प्रदूषण के चलते बीमार होने वालों की भरमार होती जा रही है। सरकारी और निजी अस्पतालों में सांस, हृदय, त्वचा और स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोग पहुंच रहे हैं। हरियाणा में पहले से बीमार मरीजों की हालत गंभीर होती जा रही है, वहीं ऐसे रोगों से पीड़ित नए मरीज भी अस्पताल पहुंच रहे हैं। वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव केवल फेफड़ों पर ही नहीं पड़ता है, बल्कि शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। 

ऊपर से इन दिनों सरकारी अस्पतालों में डाक्टर हड़ताल पर हैं। इससे हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। सरकार दावा कर रही है कि ग्रैप नियमों का पालन कराने के लिए स्थानीय निकायों को लगा दिया गया है, लेकिन हकीकत उससे जुदा है। प्रदेश के कई जिलों में धड़ल्ले से निर्माण कार्य हो रहा है। खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है, लेकिन प्रशासन इन्हें रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है। 

Friday, December 12, 2025

नामू! तू एक दिन बहुत बड़ा संत बनेगा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महाराष्ट्र के सतारा जिले के नरसी बामनी गांव में सन 1270 में पैदा हुए नामदेव बचपन से ही बहुत संवेदनशील थे। उनकी मां उन्हें नामू कहकर बुलाती थी। उनके पिता दामाशेटी और मां गोणाई देवी बिट्ठल के परमभक्त थे। माता-पिता की बातों का प्रभाव नामदेव पर भी पड़ा। वह बिट्ठल के भक्त बन गए। 

उनके गुरु महाराष्ट्र के प्रसिद्ध संत ज्ञानेश्वर थे। उन्होंने बह्मविद्या को लोक सुलभ बनाकर उसका महाराष्ट्र में प्रचार किया तो संत नामदेव जी ने महाराष्ट्र से लेकर पंजाब तक उत्तर भारत में 'हरिनाम' की वर्षा की। नामदेव का उल्लेख गुरुग्रंथ साहिब और कबीरदास के पदों में मिलता है। 

एक बार की बात है। नामदेव बाहर से आए, तो उनकी धोती में खून लगा हुआ था। उनकी मां गोणाई देवी उस खून को देखते ही घबरा उठीं। उन्होंने तत्काल नामदेव से पूछा, नामू, तेरी धोती में यह खून कहां से लग गया? क्या तू कहीं गिर गया था? क्या तुझे कोई चोट लगी है? यह सुनकर नामदेव ने कहा कि मां, मैं कहीं गिरा नहीं था। मैंने अपनी जांघ की खाल खुद उतारी है। तब मां ने कहा कि तू निरा बेवकूफ है। कोई अपनी खाल उतारता है। तेरा यह घाव पक सकता है। 

तब नामदेव ने कहा कि मां कल तूने पेड़ की छाल और टहनियां काटकर लाने को कहा था। मैंने सोचा कि इन पेड़ों में भी जान होती है। इनकी टहनी काटने या छाल छीलने पर इन्हें भी दर्द होता होगा। तो मैंने अपनी जांघ की चमड़ी छीलकर देखा कि कितना दर्द होता है। तब गोणाई देवी ने कहा कि तू तो बात एकदम सही कहता है। आज के बाद तुझे ऐसा काम नहीं सौंपूंगी। तू एक दिन बहुत बड़ा संत बनेगा। मां का कथन बाद में एकदम साबित हुआ। नामदेव महाराष्ट्र के बहुत बड़े संत बने।

बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए बड़ी राहत है ब्याज माफी योजना

अशोक मिश्र

सैनी सरकार ने किसानों और मजदूरों को राहत पहुंचाने के लिए कई फैसले लिए हैं। इसी साल हरियाणा के कई जिलों
में आई बाढ़ के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ था। दादरी, सिरसा, हिसार और भिवानी जैसे जिलों में बाढ़ की वजह से काफी नुकसान हुआ था। बाढ़ की वजह से न केवल खड़ी फसल बरबाद हो गई थी, बल्कि खेत में नमी रह जाने की वजह से आगामी फसल भी बोने में काफी दिक्कत आई थी। 

गेहूं आदि फसलों की बुवाई भी काफी पिछड़ गई थी। ऐसी स्थिति में किसानों की आर्थिक दशा काफी खराब हो गई थी। खरीफ सीजन में पांच लाख से अधिक किसानों ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर 31 लाख एकड़ फसल खराब हो जाने का दावा किया था। हालांकि जब क्षतिपूर्ति पोर्टल पर किए गए दावों की जांच की गई, तो कुल 53821 किसानों की फसल ही  खराब हुई पाई गई। 

बाकी किसानों के खेतों में बाढ़ का पानी भरा जरूर था, लेकिन एकाध दिन बाद ही पानी निकल गया था। ऐसी स्थिति में किसानों ने सोचा कि उनकी फसल बरबाद हो गई है और उन्होंने पोर्टल पर दावा भी कर दिया। राज्य सरकार ने जिन किसानों की फसल बरबाद हुई थी, उन 53 हजार से अधिक किसानों के लिए 116 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि जारी कर दी गई है। यही नहीं, राज्य सरकार ने प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों की ओर से किसानों और मजदूरों पर बकाया कर्ज के निपटारे के लिए वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू की है। अभी तक प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों का किसानों और मजदूरों पर 3400 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है। 

इस योजना के तहत छह लाख 81 हजार से अधिक किसानों और मजदूरों का 2,266 करोड़ रुपये ब्याज माफ किया जाएगा। अगर प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों से कर्ज लेने वाले किसान और मजदूर 31 मार्च 2026 तक कर्ज की मूल राशि एकमुश्त जमा कर देते हैं, तो उनका ब्याज माफ कर दिया जाएगा। पैक्स यानी प्रथमिक कृषि सहकारी समितियों से किसानों ने फसली ऋण, काश्तकार ऋण और दुकानदारी के लिए ऋण ले रखे हैं। प्रदेश में 2.25 लाख किसानों की कर्ज लेने के बाद  मौत हो गई है। ऐसे किसानों के वारिस अगर कर्ज की राशि एक मुश्त जमा कर देते हैं, तो उनका भी ब्याज माफ कर दिया जाएगा।

 कर्ज लेने के बाद मर जाने वाले किसानों पर नौ सौ करोड़ रुपये बकाया है। पैक्स का ऋण चुकाने के एक महीने बाद किसान और मजदूर नई फसल या दुकान के लिए तीन किस्तों में कर्ज ले सकते हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश के बाढ़ पीड़ित किसानों के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोलकर बहुत बड़ी राहत प्रदान की है। यह राहत किसानों को दोबारा उठ खड़े होने में काफी सहायक होगी। बाढ़ के चलते बरबाद हो चुके किसानों के लिए नया जीवनदान की तरह है ब्याज माफी योजाना।

Thursday, December 11, 2025

मैं तो घुमक्कड़ हूं, मुझे संगीत से क्या लेना

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

चीन में महान संगीतकार शी कुआंग का जन्म लगभग 572 ईसा पूर्व माना जाता है। वह चीन के जिन शासक के शासनकाल के सबसे महान संगीतकारों में गिने जाते थे। उन्होंने चीन के दस सर्वश्रेष्ठ टुकड़ों में से एक ‘ह्वाइट स्नो इन अर्ली मार्निंग’ की रचना की थी। उनके बारे में कई तरह की कहानियां चीन में प्रचलित हैं। 

शी कुआंग के बारे में कहा जाता है कि जब तक वह जिन शासक के मुख्यमंत्री रहे, तब तक शासन बहुत अच्छी तरह से चलता रहा। संगीतकार शी कुआंग के ही समकालीन थे महान दार्शनिक कन्फ्यूशियस। उस समय दर्शन में कन्फ्यूशियस की पूरे चीन में धूम मची हुई थी। लोग कन्फ्यूशियस का बड़ा आदर करते थे। 

एक बार की बात है। एक व्यक्ति ने कन्फ्यूशियस से कहा कि मैं आपको शी कुआंग से मिलवाना चाहता हूं। वह चीन के बहुत बड़े संगीतकार हैं। उनका नाम दूर-दूर तक फैला हुआ है। उस व्यक्ति की बात सुनकर कन्फ्यूशियस हंसे और बोले, मैं उनसे मिलकर क्या करूंगा। मैं तो एक घुमक्कड़ प्रवृत्ति का आदमी हूं। मैं एक जगह पर टिकता ही नहीं हूं और वैसे भी मेरी संगीत में कोई रुचि भी नहीं है। 

लेकिन कन्फ्यूशियस उस व्यक्ति की बात टाल नहीं पाए। वह शी कुआंग से मिलने को तैयार हो गए। अपने-अपने क्षेत्र में महान शख्सियतों की मुलाकात हुई तो दोनों एक दूसरे से बहुत प्रभावित हुए। शी कुआंग ने उन्हें चीन का पवित्र संगीत शाओ सिखाया। अब तो कन्फ्यूशियस की दिनचर्या ही बदल गए। वह हर समय संगीत में ही रमे रहते थे। अब तो संगीत उनके सिर चढ़कर बोलने लगा। एक दिन वह अपने अनुयायी से बोले, मुझे नहीं मालूम था कि संगीत में इतनी शक्ति होती है।

मानवता को शर्मसार करने वाले लोग मानव समाज के लिए खतरा


अशोक मिश्र

समाज में कई बार ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती हैं जिससे मानवता भी शर्मसार हो उठती है। आसपास रहने वाला व्यक्ति कब किसी मासूम बच्ची के लिए हैवान साबित हो, कोई नहीं कह सकता है। अंकल..अंकल कहकर आगे पीछे घूमने वाली बच्चियां अंकल की दरिंदगी का शिकार हो जाएं, नहीं कहा जा सकता है। ऐसा ही हुआ बीतों दिनों फरीदाबाद में। फरीदाबाद के पल्ला थाना की हरकेश नगर कालोनी में रहने वाले एक व्यक्ति ने पांच साल की बच्ची को चॉकलेट दिलाने का लालच दिया और उसे अपने साथ ले जाकर एक झाड़ी में उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। 

कालोनी में एक व्यक्ति ने पच्चीस कमरे बनवाकर उसे किराये पर उठा रखा है। इसी एक कमरे में आरोपी भी रहता है। बच्ची उस आरोपी को अंकल कहती थी। रोज मिलना जुलना था। बस, इसी का फायदा उठाकर आरोपी ने बच्ची को फुसलाया और झाड़ी में ले जाकर गला दबाकर हत्या कर दी। इतना ही नहीं, जब बच्ची काफी देर तक घर नहीं आई, तो नराधम लोगों के साथ मिलकर उसे खोजने का नाटक भी करता रहा। बच्ची के मां-बाप को दिलासा भी देता रहा कि जल्दी ही बच्ची मिल जाएगी। 

यहीं कहीं खेल रही होगी। जब मामला पुलिस तक पहुंचा और पुलिस ने टीमें बनाकर बड़े पैमाने पर खोजबीन शुरू की, लोगों के घरों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को चेक किया, तब जाकर पता लगा कि कौन उस बच्ची को साथ ले गया था। पुलिस ने शराब के नशे में धुत आरोपी को कमरे में सोते हुए पकड़ा। पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा कि हैवान ने उस बच्ची से दुष्कर्म किया है या नहीं। 

मानवता को शर्मसार करने वाली दूसरी घटना महेंद्रगढ़ के बचीनी गांव घटी। यह पांच साल की मासूम बच्ची घर से लस्सी लेने निकली थी। रास्ते में उसे कैंटर ने कुचल दिया। घायल बच्ची जब सड़क पर तड़प रही थी, तो कैंटर चालक ने उसे अस्पताल में भर्ती कराने का आश्वासन देकर अपने कैंटर में बिठा लिया और पच्चीस किमी दूर ले जाकर उसे झाड़ियों में फेंक दिया। बच्ची की मौत झाड़ियों में फेंके जाने से पहले हो गई थी। बाद में सीसीटीवी फुटेज और जीपीएस के सहारे आरोपी चालक गिरफ्तार किया गया। 

समाज में शराफत की नकाब ओढ़ कर बैठे हुए हैवान कब किसी बच्ची, महिला या बच्चे को अपना शिकार बना लें, कहा नहीं जा सकता है। इन सभी घटनाओं को देखते हुए ही अब किसी पर कोई भरोसा नहीं रह गया है। पड़ोसी तो क्या, अब लोग अपने नाते-रिश्तेदारों पर ही विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि समाज में सभी बुरे हैं। लेकिन इसी समाज में  कोई ऐसा भी हो सकता है जो विश्वास लायक न हो। सौ इंसानों में से अगर दस लोग भी दूषित मानसिकता के हों, तो वह नब्बे लोगों के लिए कभी भी खतरा बन सकते हैं।

Wednesday, December 10, 2025

राजन! मुझे विनम्रता और सुई दे दो

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अहंकार व्यक्ति की गरिमा और व्यक्तित्व का विनाश करता है। अहंकारी व्यक्ति को कोई पसंद नहीं करता है। अगर राजा या कोई वरिष्ठ पदाधिकारी भी अहंकारी हो जाए, तो लोग भले ही उसके सामने कुछ न कहें, लेकिन पीठ पीछे उसकी बुराई ही करते हैं। किसी राज्य का राजा बहुत अहंकारी था। वह अपने आगे किसी को गिनता नहीं था। एक बार उसके राज्य में एक संत आया। 

उस संत की ख्याति बहुत दूर-दूर तक फैली हुई थी। जो भी एक बार संत से मिलता वह प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता था। राजा तक उसकी ख्याति पहुंची, तो राजा ने संत को प्रभावित करने के लिए एक कीमती तलवार उपहार के रूप में लिया और संत से मिलने पहुंच गया। संत के पास पहुंचने पर राजा ने कहा कि यह भेंट मैं आपके लिए लेकर आया हूं। 

संत ने राजा का उपहार देखकर कहा कि राजन! मैं इस उपहार को लेकर क्या करूंगा? यह मेरे किसी काम की नहीं है। मैं तो संत हूं। मेरे लिए इस उपहार की कोई उपयोगिता नहीं है। पलभर सांस लेने के बाद संत ने आगे कहा कि यदि राजन, मुझे कुछ देना ही चाहते हैं, तो मुझे सुई के साथ विनम्रता दे दें। राजा आश्चर्यचकित
होकर बोला कि भला सुई और विनम्रता तलवार का मुकाबला कैसे कर सकते हैं। 

संत ने कहा कि सुई जोड़ने का काम करती है। विनम्रता से व्यक्ति अजेय व्यक्ति को भी जीत सकता है। तलवार का काम तो काटना या जीवन लेना है, लेकिन सुई हो या विनम्रता सबको एक साथ जोड़ने का काम करती हैं। राजा समझदार था। उसने संत से कहा कि मैं समझ गया। अब से मैं अहंकार का त्याग करता हूं। इसके बाद उसने प्रजा की भलाई के लिए बहुत सारे कार्य किए और प्रजा में लोकप्रिय हो गया।

हड़ताली डॉक्टरों की वजह से मरीजों को उठानी पड़ी परेशानी


अशोक मिश्र

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों को सोमवार और मंगलवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के आह्वान पर प्रदेश भर के डॉक्टर दो दिन हड़ताल पर रहे। एसोसिएशन ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने आज यानी मंगलवार देर रात तक उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया, तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन हो सकती है। अगर ऐसा होता है, तो मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। 

प्रदेश सरकार ने एसएमओ की सीधी भर्ती करने का फैसला किया है। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के पदाधिकारी सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने इसका विरोध करते हुए अपनी बात सरकार के सामने रखी, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि एसएमओ की सीधी भर्ती से पहले से ही सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों के प्रमोशन और मेरिट पर सीधा असर पड़ेगा। इस मामले में डॉक्टरों के अपने तर्कहैं, तो सरकार के अपने। इन दोनों के बीच मामला सुलझ नहीं पाने की वजह से बीच में मरीजों को पिसना पड़ रहा है। 

यमुनानगर में सीनियर मेडिकल आॅफिसर की भर्ती के खिलाफ प्रदेश भर के डॉक्टरों ने मोर्चा खोल रखा है। डॉक्टरों की दो दिवसीय हड़ताल को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पहले से ही कुछ व्यवस्थाएं कर रखी थीं। स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कालेजों में अध्ययनरत मेडिकल छात्र-छात्राओं और एनएचएम स्टाफ की सहायता से हालात को संभालने की कोशिश की, लेकिन चिकित्सा सेवा पर प्रभाव  पड़ना स्वाभाविक है। राज्य के कुछ जिलों में तो सीएचसी और पीएचसी से स्टाफ को बुलाना पड़ा, ताकि छोटी-मोटी बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा सके।  कुछ जिलों में तो हालात लगभग सामान्य रहे, लेकिन कई जिले ऐसे भी हैं, जब गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों को इधर उधर भटकना पड़ा। 

कुछ गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों का आपरेशन आदि भी टालना पड़ा। कुछ मरीजों ने हालात की गंभीरता को समझते हुए निजी अस्पतालों की शरण लेने में ही भलाई समझी। डॉक्टरों ने इमरजेंसी, एमएलआर और पोस्टमार्टम जैसे महत्वपूर्ण कामों का बहिष्कार कर रखा था। कुछ जिलों में गंभीर रोगियों को उन जिलों में ट्रांसफर किया गया जहां हालात सामान्य से दिखे थे। इमरजेंसी और ओपीडी में जांच या इलाज के लिए डॉक्टर नहीं मिले। मेडिकल करवाने वाले लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ी। हड़ताल के संबंध में हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन पदाधिकारियों का कहना है कि हम हड़ताल को उचित नहीं मानते हैं, लेकिन मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ा। दो महीने से सरकार से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है।